उम्र के कच्चे


  • मैंने बहुत बार ऐसे उम्र के कच्चों को देखा है जो अपनी वास्तविक उम्र छिपा लेते हैं और झूठे मजनू बने फिरते हैं।
  • एक तरफ कहते हैं लोग कैसे है छोटी-छोटी बच्चियों को भी नहीं बख्सतें।
  • आधुनिकता की इस भरी जवानी में हर कोई जवां बन कर रहना और दिखना चाहता है, लेकिन वे भी मजबूर है नियति के आगे क्योंकि समय के साथ चेहरे पर साफ झलकने लगती है ढलती उम्र।
  • यही होता था प्राचीनकाल में भी उम्र के कच्चे कम उम्र की कलियों पर भंवरें की तरह मंडराते थे।
तभी तो बिहारी दास जी ने लिखा है -
‘नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास यहि काल।
अली कली में ही बिन्ध्यों आगे कौन हवाल।।’
  • बहुत प्रचलन में है और हाई क्लास के लोग कहते हैं अभी मन बच्चा है। 
  • तभी तो मन में रह जाते हैं समय के साथ बदलती नूरों के नये नखरे, नई हेयर स्टाइल, अर्द्धांग काया, क्लीवेज से दिखते अंगों की मादकता और लिप का रंग, जो उम्र के कच्चों के दिलोदिमाग से हटता ही नहीं। यही तो उन्हें जवां बनाये रखने का ढोज है और हमेशा आंखे महिला के इसी अंदाज को देखना पसंद करते हैं और यही अदाएं उनको बहुत ललचाती है। 
  • जीवन में कितने पहलू इस कच्ची उम्र के लोगों को अपना रूप बदलने को मजबूर कर देती है।
कौन होते हैं उम्र के कच्चे
  • उम्र के कच्चे से मेरा मतलब कम उम्र के बच्चों से नहीं है। बल्कि उन मजनुओं से है जो अधिक उम्र (30 साल से अधिक) या तो कुंआरे है या फिर शादी शुदाओं से है।
  • जो अक्सर अपनी उम्र छुपाते है और यहां तक की कई गर्लफ्रेंड़ों को धोखा देते हैं। खुद के एक-दो बच्चे तक होते हैं पर जाहिर तक नहीं होने देते है। चलो गर्लफ्रेंड़ को ना सही मगर दोस्तों व साथ करने वालों से तक छुपा लेते हैं।
  • जब प्यार किया तो डरना क्या?
  • और ऐसा ही करना है तो फिर विवाह का बंधन क्यों?
  • खुद फिर परदेशी बाबू बनकर और घर पर बीबी रहे देशी बहु बनकर।
  • वाह भई अच्छा है...
  • अरे, भई घर पर बीबी बेचारी हर पल आपका इंतजार करती है और आप हो बाहर रंगीले राजा बने फिरते हो।
  • सच है दोस्तों गर्लफ्रेंड हो अच्छा है, पर बीबी की बेकद्री हमें बर्दाश्त नहीं।
  • हम एक ऑफिस में जॉब करते थे तब कई उम्र के कच्चों से हमारा सामना हुआ। कुछेक को छोड़कर सब के सब उम्र, अपनी शादी व कितने बच्चे है, तक छुपाते थे न जाने क्यूं ?
  • पता नहीं? वे ऐसा क्यों करते थे।
  • लेकिन एक कॉमन सेंस और उनकी बातों से साफ जाहिर था कि वे अभी वासनाओं के भूखे हैं। पत्नी शायद उनकी तृप्ति नहीं कर पाती थी या फिर शहर के सफर और कंपनी में बढ़ता वूमन पावर और उनके द्वारा पहना जाने वाला ड्रेस कोड शायद कामुकता को बढ़ाता हो।
  • अगर कोई इसे महिला विरोधी मानता है तो मैं कतई ऐसा नहीं हूं। मैं मानव हित के लिए जो देख रहा हूं उसे ही लिख रहा हूं। 
  • अजी मन है बच्चा,
  • पर आंखें हैं कामुकता देखने की आदी।
  • भैय्या मन तो फिसलता है जवां को देख कर चाहे पुरुष हो या महिला।
  • फिर तो आप जानते ही हो...
  • दोस्तों, इसे अन्यथा न लेना क्योंकि बहुत कुछ हम अच्छा चाहते हैं, हमारे बीच से ही वो जानवर पैदा होते हैं जो महिलाओं को अपनी कुटिल चालों में फंसाते हैं। मैं ये नहीं कहता कि महिलाएं गलत नहीं होती है।
  • यानि आज के दौर में बढ़ते अपराध में पुरुष और महिला दोनों बराबर के जिम्मेदार हैं। किसी मामले में पुरुष दोषी होता है तो किसी में महिला। 
  • दोषी किसी एक पक्ष को ठहराना गलत है क्योंकि हमें पता नहीं कि कौन गलत है और कौन सही। ये तो वे दोनों ही बता सकते हैं जो उस अपराध में शामिल हो। 
  • अक्सर कोई भी खुद को दोषी नहीं मानता है। वह अपने मिलने वालों से यही कहता है कि मेरे साथ धोखा हुआ है। पर सच्चाई वे दोनों ही जानते हैं। 
  • पुरुष पुरुषवादी सोच में मशगूल होता है तो महिला महिलावादी सोच में। 
  • अजी इनकी उम्र तो पचपन है, पर मन तो अभी बच्चा है जी।
  • तो सोच लो हम कहां है...

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