हंसते-हंसते कट जाए रस्ते, ये जिन्दगी यूं ही.....


  • वाकई भारतीय युवा लाजबाव है, वे बहुत सी समस्याओं के हल इस तरह पेश करते हैं कि एक ओर हंसी आती है, तो एक ओर लोगों खतरे को पहचान कर भी अनदेखा कर देते हैं। चलो, ये तो भौतिकता का अभिशाप है कि लोगों स्वीकार अवश्य करते हैं कि अकेले व्यक्ति को ऑफिस या बाजार जाते समय कार का उपयोग नहीं करना चाहिए, किंतु फिर भी गैर करके वे इसे अनदेखा कर देते हैं, क्योंकि उनकी पर्सनलिटी का सवाल जो है। 
  • खैर छोड़िए, हमारे मोबाइल पर व्हाट्सअप पर एक मैसेज आया जिससे शायद उनकी लोगों में जागरूकता नहीं होने पर झुंझलाहट हो रही हो। जिसमें लिखा था कि देश का तापमान 44 डिग्री हो गया है तो आइए हम सब मिलकर इसे 50 डिग्री से अधिक ले जाने का संकल्प लें कि —
  • हम अधिक से अधिक पेड़ काटें। 
  • सड़कें चौड़ी करें। 
  • चारों तरफ सीमेंट के जंगल खड़े करें। 
  • सभी पब्लिकेशन के अखबार मंगवायें ताकि सभी पेड़—बांस समाप्त हो जाए। 
  • खूब जोड़ी कपड़े, जूते रखें। खूब सारे ट्यूबबेल खोदें। 
  • वे लोग कुछ ऐसे चीजें भूल गये शायद, जैसे एसी कमरों के साथ ही बाथरूम में भी लगवाये, कारें अधिक से अधिक खरीदें। 


एक ओर मैसेज पढ़े:—

  • गर्मी से परेशान होकर एक व्यक्ति ने सूर्य देवता🌞 को व्हाट्सअप पर संदेश भेजा कि हे सूर्य देव आप बढ़ाई हुई ब्राइटनेस कम करो, बहुत तकलीफ हो रही है...!
  • 🌝 सूर्य देव ने तुरंत रिप्लाई भेजा  वहां ऑप्शन है पेड़ लगाओ🌱उसको बढ़ाओ🌳और सेव पर क्लिक करो। तुरंत कार्बन डाइऑक्साइड कम हो जाएगा और वातावरण शुद्ध होगा एवं मौसम ठंडा रहेगा और बरसात🌧 खूब होगी।

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